क्या सच में भगवान है या नहीं?
कई लोग प्रश्न करते हैं कि क्या सच में भगवान है या नहीं परंतु वास्तविकता यही है कि इस ब्रह्मांड को चलाने वाले स्वयं भगवान है यह बात भगवान स्वयं भागवत् गीता जी में कहते हैं कि इस पूरे ब्रह्मांड की रचना परमात्मा ही करते हैं और इसका विनाश परमात्मा ही करते हैं इससे सिद्ध होता है कि परमात्मा ही इस विश्व को चला रहे हैं।
लोग भगवान पर विश्वास क्यों नहीं करते हैं?
जो लोग पापी और मूर्ख होते हैं वही लोग परमात्मा पर विश्वास नहीं करते हैं परंतु जो लोग ज्ञानी हैं जो लोग सात्विक हैं वे निश्चित रूप से परमात्मा पर भरोसा करते हैं और भगवान का भजन भी करते हैं इसके माध्यम से उनका उद्धार हो जाता है परंतु पापी और मूर्खों का उद्धार कभी भी नहीं होता है और वे सदैव नर्क में पड़े रहते हैं?
क्या हम भगवान का दर्शन कर सकते हैं?
हम भगवान का दर्शन आवश्य कर सकते हैं कहते हैं कि परमात्मा हमारे भीतरी हैं हमारे भीतर जो आत्मा तत्व है उसे ही परमात्मा कहा गया है तो यदि हम ज्ञान मार्ग पर जाते हैं यदि हम योग मार्ग पर जाते हैं तो निश्चित रूप से हम परमात्मा का साक्षात्कार भी कर सकते हैं परंतु हमें घोर तपस्या करना होगा।
परमात्मा का भजन करने से क्या लाभ मिलता है?
अन्य युगों में परमात्मा की प्राप्ति हेतु बहुत सारे उपाय करने पड़ते थे परंतु आज कलयुग में यदि केवल हम सच्चे मन से परमात्मा का भजन करें परमात्मा के नाम का स्मरण करें तो हमें मोक्ष मिल जाएगा इससे अच्छी बात कुछ भी नहीं हो सकती इसीलिए परमात्मा का भजन करना चाहिए जो लोग परमात्मा का भजन करते हैं उन्हें बहुत बड़ा लाभ मिलता है।
लोग नास्तिक क्यों बनते हैं?
ये सारे मूर्ख और पापी होते हैं जो नास्तिक बनते हैं इन मूर्खों को यह पता नहीं होता कि जो जल वो पी रहे हैं उसमें भी परमात्मा है जो वायु उनके भीतर जा रही है उसमें भी परमात्मा है जो सूर्य का प्रकाश वो ले रहे हैं उसमें भी परमात्मा है यानी कि हम कह सकते हैं कि कण – कण में परमात्मा है परंतु इन मूर्खों को कुछ पता नहीं होता ये अज्ञानी और सबसे बड़े मुर्ख होते हैं इसीलिए ये स्वयं को नास्तिक कहते हैं क्योंकि इन्हें भक्ष – अभक्ष खाना होता है इसीलिए ये नास्तिकता का ढ़ोग करते हैं।
परमात्मा को प्रसन्न करने के सरल उपाय क्या है?
हम अपने जीवन में केवल सात्विक रहे और परमात्मा का भजन करें तो निश्चित रूप से हम परमात्मा को प्रसन्न कर सकते हैं परमात्मा केवल भाव के भूखे हैं तो इसलिए भावपूर्वक यदि हम भजन करते हैं और परमात्मा का स्मरण करते हैं तो निश्चित रूप से हम परमात्मा को प्रसन्न कर सकते हैं यही एकमात्र सरल उपाय है।