होलिका दहन क्यों किया जाता है?
होलिका दहन करने का सीधा तात्पर्य यह है कि होलिका दहन के माध्यम से विश्व के यह बताया जाता है कि सत्य सदा विजय की ओर जाता है और झूठ सदा पराजय की ओर जाता है इसीलिए संभवत होलिका दहन प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
होलिका कौन थी?
शास्त्रों के अनुसार पता यह चलता है कि होलिका हिरण्कश्यप की बहन थी कहते हैं कि पहलाद जी को मारने के लिए हिरण्कश्यप ने होलिका को अग्नि में बैठने की आज्ञा दी थी।
प्रहलाद जी कौन थे?
शास्त्रों के अनुसार पहलाद जी भगवान श्री हरि के बहुत बड़े भक्त थे कहते हैं कि सदैव वो भगवान का नाम स्मरण करते रहते थे इसीलिए हर क्षण भगवान उनकी रक्षा करने के लिए तत्पर रहते थे।
होलिका दहन कब से मनाया जा रहा है?
कहते हैं होलिका दहन की शुरुआत सतयुग से हुई थी तब से होलिका दहन मनाया जा रहा है आज कलयुग में भी प्रत्येक वर्ष होलिका दहन मनाया जाता है।
होलिका दहन में प्रहलाद जी कैसे जीवित बच गए थे।
कहते हैं कि होलिका का एकमात्र उद्देश्य यही था कि प्रहलाद जी को जलाकर भस्म कर दे परंतु श्री हरि की कृपा से प्रहलाद जी जीवित बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई थी।
हिरण्कश्यप प्रहलाद जी को क्यों मारना चाहता था?
हिरण्कश्यप चाहता था कि पहलाद जी उसकी भक्ति करें परंतु वे बाल्यकाल से ही श्री हरि के भक्त बन गए थे इसलिए हिरण्कश्यप को उनसे ईर्ष्या किया करता था और उन्हें मारने हेतु प्रपंच रचा करता था।
हमें प्रहलाद जी से क्या सीख लेनी चाहिए?
जीवन में चाहे कितना भी घोर संकट आ जाए परंतु धैर्य कभी नहीं खोना चाहिए और परमात्मा पर सदैव भरोसा रखना चाहिए यदि हम ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से परमात्मा हमारा सहयोग करते हैं यही सीख प्रहलाद की भक्ति हमें देती है।