भगवान का अवतार क्या होता है?
कहते हैं कि जब – जब इस धरती पर पाप बढ़ता है तब – तब भगवान किसी न किसी रूप में इस धरती पर आते हैं और फिर भगवान यहां से आकर पाप को मिटाते हैं और फिर भगवान धर्म की स्थापना करते हैं।
भगवान का अंश अवतार क्या है?
कई बार जब धरती पर थोड़ा बहुत पाप बढ़ता है तो भगवान अपने अंश अवतार को भेज देते हैं ताकि वह यहां से पाप को मिटा सके और धर्म की स्थापना कर सके यदि हम कुछ अंश अवतार की बात करें तो इसमें भगवान परशुराम भगवान वराह भगवान नरसिंह सम्मिलित है।
भगवान का पूर्ण अवतार कब होता है?
यह बात भगवान श्रीमद् भगवत् गीता में भी बताते हैं कि जब – जब धरती पर पाप अत्यधिक बढ़ जाते हैं तब – तब उनका पूर्ण अवतार होता है और फिर भगवान यहां पर आकर के धर्म की स्थापना करते हैं और पपिया का नाश करते हैं वैसे भगवान श्रीराम जी और भगवान श्रीकृष्ण जी भगवान के पूर्ण अवतार माने जाते हैं।
क्या भगवान श्रीराम जी भगवान के पूर्ण अवतार हैं?
शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीराम जी भगवान के पूर्ण अवतार हैं कहते हैं कि भगवान ने यहां पर धर्म की स्थापना की त्रेता युग में भगवान ने बहुत से असुरों का नाश किया और यहां पर धर्म की स्थापना की इसीलिए उन्हें पूर्ण अवतार माना जाता है।
अंश अवतार और पूर्ण अवतार में क्या अंतर है?
अंश अवतार भगवान का वह अवतार होता है जहां पर भगवान कुछ शक्तियों को देखकर किसी दिव्य आत्मा को इस धरा धाम पर भेजते हैं ताकि उनके माध्यम से यहां धर्म की स्थापना हो सके परंतु भगवान का पूर्ण अवतार वह होता है जब प्रभु स्वयं बैकुंठ से उतरकर इस धरा धाम पर आते हैं और फिर पपिया का नाश करते हैं यहां पर धर्म की स्थापना करते हैं।