सत्कर्म कौन कर सकता हैं || जान लिजिए

सत्कर्म क्या होता है?

जब हम अपने स्वार्थ को छोड़कर समाज हेतु कार्य करते हैं उसे ही सत्कर्म कहा गया है जो व्यक्ति सत्कर्म करता है सदा उसे पूर्ण लाभ ही मिलता है।

शास्त्रों में सत्कर्म को लेकर क्या कहा गया है।

हम अत्यंत सौभाग्यवान है कि हमें मनुष्य शरीर मिला केवल मनुष्य ही सत्कर्म कर सकता है कोई भी पशु सत्कर्म नहीं कर सकता इसलिए हमें सदा सत्कर्म करने के विषय में सोचना चाहिए।

सत्कर्म से विश्व को क्या लाभ पहुंच सकता है।

सत्कर्म का सीधा तात्पर्य यह भी है कि हम किसी जीव को कष्ट नहीं पहुंचा सकते हम किसी को मार नहीं सकते हमारा मूल कर्तव्य है कि हम सदा प्रकृति को लाभ पहुंचाने का कार्य करें।

सत्कर्म कौन नहीं कर सकता?

जो व्यक्ति समाज में केवल अपना लाभ देखता है वह सत्कर्म कभी भी नहीं कर सकता क्योंकि वह सदा अपने स्वार्थ के पूर्ति हेतु कार्य करता है और जब उसका स्वार्थ पूरा हो जाता है तो वह समाज की ओर नहीं देखता है।

धर्म में सत्कर्म को लेकर क्या कहा गया है।

धर्म यही कहता है कि हमें सदा सेवा भाव से कार्य करना चाहिए जब आप सेवा करेंगे तो निश्चित रूप से परमात्मा आपका सहयोग करेंगे और आप को वह गति मिल जाएगी जिसके लिए मनुष्य जीवन मिला है।

सत्कर्म से मोक्ष तक कैसे पहुंचा जा सकता है?

सत्कर्म करने वाले व्यक्ति की कभी भी दुर्गति नहीं होती यह बात स्वयं परमात्मा भगवत् गीता में कहते हैं इसलिए हमे सदा सत्कर्म और सेवा ही करना चाहिए ऐसा हम करते हैं तो हमें पूर्ण लाभ मिलेगा।

हम समाज के प्रति अपना योगदान कैसे दे सकते हैं?

धन के माध्यम से ज्ञान के माध्यम से और सेवा के माध्यम से हम समाज के प्रति अपना योगदान दे सकते हैं यदि हम इन तीनों के माध्यम से अपना योगदान देते हैं तो निश्चित रूप से समाज में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।

Shri Ram Ji

Leave a Comment