कुम्भ मेला क्यों लगता है? कुम्भ मेला का इतिहास व सपूर्ण विवरण || कुम्भ में स्नान के अद्भुत लाभ

कुंभ मेला क्यों आयोजित किया जाता है इसके पीछे का क्या कारण है?

शास्त्रों में कुंभ के विषय में जानकारी मिलती है कुंभ मेला प्रत्येक बारह वर्षों बाद कुल चार स्थानों पर लगता है कहा जाता है कि इस समय देवता वेश बदलकर धरती पर दर्शन हेतु आते हैं।

कुंभ मेला भारत के किन-किन स्थानों पर आयोजित किया जाता है?

कुंभ मेला भारत में कुल चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है जिसमें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक सम्मिलित है इन्हीं चार स्थानों पर कुंभ मेला का भव्य आयोजन किया जाता है।

कुंभ मेला कब-कब लगता है?

कुंभ मेला प्रत्येक चार वर्ष बाद हरिद्वार प्रयागराज उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है कहते हैं कि इसके पीछे भी एक कथा आती है इसलिए यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

कुंभ मेला की कथा क्या है?

कुंभ आयोजन के पीछे की कथा समुद्र मंथन से जुड़ती है कहते हैं कि एक बार देवताओं और असुरों में समुद्र मंथन हुआ उसके बाद कहते हैं कि उस मंथन से चौदह रत्न निकले उसी में से एक था अमृत तो अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध हो गया कहते हैं उसी में से एक असुर अमृत को लेकर भागने लगा इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें छलक कर धरती पर गिरी वह बूंदे जहां पर गिरी थी वहीं आज कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

कुंभ मेला कितना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है?

कुंभ मेला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि कहते हैं कि इन स्थानों पर स्नान करने मात्र से करोड़ों जन्म के पाप धुल जाते हैं क्योंकि इन स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदे गिरी थी इसलिए कहा जाता है कि इसके जल में जो भी व्यक्ति स्नान करता है या फिर इसका पान करता है उसके सारे पाप कट जाते हैं।

कुंभ मेला में कैसे जाना चाहिए।

कुंभ मेले में जाने का सबसे अच्छा मध्यम है कि आप स्वयं को संकल्पित करके जाएं की आप जीवन में कोई भी पाप नहीं करेंगे उसके बाद यदि आप कुंभ में जाकर स्नान करते हैं तो निश्चित रूप से आपके सारे पाप कट जाएंगे और फिर आप परमात्मा तक पहुंचाने के अधिकारी बन जाएंगे।

सबसे बड़ा कुंभ मेला कहां पर लगता है?

वैसे तो चारों स्थान पर लगने वाला कुंभ मेला महत्वपूर्ण है परंतु प्रत्येक बारह वर्ष बाद प्रयागराज में जो कुंभ मेला लगता है वह सबसे भव्य माना जाता है कहते हैं कि यहां पर देवता वेश बदलकर स्नान करने हेतु आते हैं।

प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेले की विशेषता क्या है?

कहते हैं कि प्रयागराज में लगने वाला कुंभ मेला सबसे भव्य व महत्वपूर्ण माना जाता है कहते हैं कि यहां पर पूरे भारत से संत स्नान कर रहे हेतु व दर्शन करने हेतु पहुंचते हैं यहां पर प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं परंतु जब कुंभ मेला लगता है तो इनकी संख्या करोड़ों में हो जाती है और कहते हैं कि यहां पर साक्षात ईश्वर भी पहुंचते हैं।

कुंभ मेले को इतनी महत्वता क्यों दी जाती है?

कुंभ मेले को इतनी महत्वता इसलिए भी दी जाती है क्योंकि कहा जाता है कि इसमें पूरे भारत से संत आते हैं कहते हैं कि यही एक मेला होता है जहां पर नागा संत भी आकर शाही स्नान करते हैं और उस दौरान यहां का वातावरण भक्तिमय और अत्यंत दिव्य होता है जिसके दर्शन मात्र से ही सारे पाप कट जाते हैं।

प्रयागराज में पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन कब किया जाएगा?

प्रयागराज में पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन 2025 में किया जाएगा और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मेले में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आने वाले हैं और कहा जा रहा है कि इसमें बहुत सारे संत पूरे भारत से चलकर यहां पर स्नान हेतु आने वाले हैं।

कुंभ मेले में शाही स्नान करने से क्या लाभ मिलता है?

वैसे तो कुंभ मेले में पहुंचना ही एक सौभाग्य की बात है परंतु जो व्यक्ति इस मेले में पहुंचकर शाही स्नान कर लेता है कहते हैं कि उसके करोड़ों जन्मों के पाप क्षण भर में कट जाते हैं और वह व्यक्ति सदा के लिए पापों से मुक्त हो जाता है कहते हैं कि यहां पर स्नान करने वाले व्यक्ति को सीधे मोक्ष मिल जाता है।

कुंभ मेले में जाकर क्या करना चाहिए?

जब भी हम कुंभ मेले की ओर जा रहे हैं तो हमें शाही स्नान आवश्य करना चाहिए यदि हम ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से हमारे सारे पाप कट जाएंगे और सदा के लिए हम शुद्ध हो जाएंगे कहते हैं कि हमारा जीवन सदा के लिए स्वच्छ हो जाता है और फिर हम मोक्ष की ओर प्रस्थान कर देते हैं।

Shri Ram Ji

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