भगवान की पूजा करते समय अगरबत्ती जलानी चाहिए या नहीं?

अगरबत्ती जलाने का नियम क्या है | और कब अगरबत्ती जलाना चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार सायं सात बजे के बाद अगरबत्ती कभी भी नहीं जलाना चाहिए सात बजे के बाद जो अगरबत्ती जलता है कहते हैं वह तामसिक शक्तियों को पूजा दे रहा है इसीलिए हमें सदा ध्यान रखना चाहिए कि हम अगरबत्ती सायं सात बजे से पहले ही जलाएं और भगवान की पूजा करें।

क्या अगरबत्ती जलाना सही है या गलत है?

शास्त्रों के अनुसार अगरबत्ती जलाना पाप माना गया है क्योंकि शास्त्रों में कहीं भी अगरबत्ती जलाने को लेकर वर्णन नहीं किया गया हैं, हमारे शास्त्रों में दीपक और धूप इत्यादि के जलने का वर्णन किया गया है।

पहली बार दीपक कब जलाया गया था?

कहा जाता है कि भगवान श्रीराम जी जब रावण का वध करके अयोध्या को लौटे थे उस समय कहा जाता है पहली बार दीपक जलाया गया था उस समय लाखों की संख्या में दीपक जलाए गए थे और भगवान राम के आने पर सभी अयोध्यावासी प्रसन्न थे जिसके कारण उन्होंने दीपक जलाकर प्रभु का अभिनंदन किया था?

घी के दीपक जलाने के क्या लाभ होते हैं?

हमारे शास्त्रों में घी के दीपक जलाने का विधान बताया गया है कहा जाता है कि यदि हम घी का दीपक जलाएं तो इससे पूरी प्रकृति शुद्ध हो जाती है कहते हैं कि घी का दीपक जलाने से बहुत सारा ऑक्सीजन उत्पन्न होता है जिसके माध्यम से पूरी प्रकृति नवीन हो उठती है इसलिए सदा से घी के दीपक जलाने का विधान रहा है।

अगरबत्ती क्यों नहीं जलाना चाहिए अगरबत्ती का निर्माण कैसे हुआ होगा?

अगरबत्ती जलाना कहीं से भी उचित नहीं है हमारे शास्त्र भी इसकी आज्ञा नहीं देते हैं परंतु समय के साथ कुछ लोगों ने व्यापरीकरण करने हेतु अगरबत्ती का निर्माण किया होगा जिसके कारण इसे धर्म से जोड़कर अगरबत्ती का व्यापार किया होगा और इससे बहुत सारा धन कमाया होगा परंतु यह शास्त्र सम्मत नहीं है शास्त्र इसकी आज्ञा नहीं देते हैं।

भगवान की पूजा करने का सबसे उचित समय क्या होता है?

भगवान की पूजा करने का सबसे उचित समय प्रातः काल में होता है और सायं सात बजे से पूर्व होता है जिसे शास्त्रों में गोधूलि बेला कहा गया है कहते हैं कि इस दौरान यदि आप कोई भी पूजा पाठ इत्यादि करते हैं तो वह सीधे परमात्मा तक पहुंच जाता है परंतु इसके बाद यदि पूजा पाठ इत्यादि किया जाता है तो वह नकारात्मक शक्तियों तक जाता है जिससे हमें हानि होने की पूर्ण संभावना होती है।

रात्रि में पूजा क्यों नहीं करना चाहिए?

शास्त्रों में कहा गया है की रात्रि में कुछ नकारात्मक शक्तियां ब्रह्मांड में विचरण करती हैं जिसके कारण यदि हम उस समय पूजा पाठ इत्यादि करते हैं तो वह पूजा सीधे नकारात्मक शक्तियों तक चला जाता है इसीलिए हमारे शास्त्रों में उस समय पूजा की मनाही की गई है परंतु भजन इत्यादि परमात्मा का नाम स्मरण आवश्य किया जा सकता है इसका कोई समय नहीं होता हम जब चाहे परमात्मा का स्मरण कर सकते हैं भजन कीर्तन कर सकते हैं।

पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जब भी हम परमात्मा की पूजा करते हैं तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारी अवस्था उस समय शुद्ध होनी चाहिए हमें स्नान ध्यान करने के बाद ही पूजा इत्यादि करना चाहिए जिससे हमें संपूर्ण लाभ मिल सके यदि हम अशुद्ध अवस्था में पूजा इत्यादि करते हैं तो इससे हमें हानि भी हो सकती है इसलिए शुद्धता का ध्यान आवश्य रखना चाहिए।

भगवान की पूजा करते समय हमारा भाव कैसा होना चाहिए?

भगवान की पूजा करते समय हमें सदैव सकारात्मक सोचना चाहिए परमात्मा के प्रति समर्पित होकर हमें परमात्मा का स्मरण व उनका पूजा पाठ करना चाहिए यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें संपूर्ण लाभ मिल सकता है और यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो हमें संपूर्ण लाभ नहीं मिल सकता तो इसीलिए यहां पर भाव का अत्यंत महत्व है इसलिए हमें परमात्मा की पूजा करते समय सदैव उच्च कोटि का भाव रखना चाहिए जिससे परमात्मा हम पर कृपा करें।

Shri Ram Ji

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